रविवार, 12 सितंबर 2010

बुलबुल के बुलबुले ..........और गोलू के गुलगुले







ओह ये दिल्ली की बारिश ....बताओ भला , मुझ जैसी नन्हीं सी जान को भी अपनी छतरी ले कर ही निकलना पडता है ......आखिर कब तक पापा के रेनकोट की जेब से बरसात का मजा लूंगी ...फ़िर common wealth games .....में पता भी तो चलना चाहिए ......कि कित्ते स्मार्ट बच्चे हैं ........





बहुत हो गई बारिश की धमाचौकडी , अब ज़रा अपने लिए एक आध पोस्ट एडवांस में ही लिख कर रख लेती हूं । पापा को तो अपने पोस्टों से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती .......




अरे बाप रे ! छोटी भी पढ रही है , मैं भी फ़टाफ़ट अपनी बुक पढ लेता हूं ....इन सबने तो घर को ....पढाकिस्तान .......बना कर रख दिया है .....हां तो कहां था मैं .....


8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ...बारिश के मज़े के साथ पढाई ????????? पानी में छपाक छपाक करने का मन होना था न ...

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  2. अरे वाह...आश्चर्य...बारिश में भी पढ़ाई...और बच्चे तो होते ही स्मार्ट हैं

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  3. बारिश के मजे के साथ पढाई का मजा... बहुत अच्छा|

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  4. गोलू और बुलबुल को प्यार और आशीर्वाद

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  5. झा जी.. ई त पूत के पाँव पालना में वाला कहावत एकदम सच होता देखाई दे रहा है.. अऊर बिटिया त एतना क्यूट है कि का कहें..लपक के उसका गाल चूमने का मन करता है.. देखिए कहीं ठण्डा ओण्डा नहीं लग जाए..

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  6. बुलबुल..... नीचे क्यों बैठी हो बेटा..उपर बैठो..देखो भैया कैसे अच्छे से बैठ कर सिर दूर रखकर पढाई कर रहा है न .....

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  7. बहुत खूब - बुलबुल और गोलू को शुभ आशीष

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