हमारे घर में एक बुलबुल रहती है जिससे आप सब वाकिफ़ हैं । मैं पहले भी बता चुका हूं कि अगर बुलबुल सोई नहीं है तो समझिए कि कुछ न कुछ तो ऐसा कर रही है कि जिसे अगर आपने देख लिया तो फ़िर उन पलों का आनंद उठाने से आप खुद को भी नहीं रोक सकते हैं । कभी पापा का चश्मा नाक पर चढा कर कुछ लिखने बैठ जाना तो कभी मम्मी का पर्स खोल कर उसमें से सारी बिंदियां निकाल कर लगा लेना और जाने कितनी ही मीठी मीठी शरारतें । देखिए कल की शरारत , क्यों न पापा की तरह लोटमलोट आसन लगा कर उनकी किताबें पढ ली जाएं .................
पहले कुछ किताबें लो , एक हाथ में लो , अगर अज्ञेय से ही शुरू किया जाए तो ठीक है ...........
किताब अपने वजन और साईज़ को ध्यान में रखते हुई ले लेती हूं , देखूं इसमें कौन सी फ़ोटो बनी हुई है
ओह ! ये डोरेमोन तो शुरू हो गया , देखूं क्या आ रहा है
पता नहीं डोरेमोन देखा जा रहा है या किताब
ये डोरेमोन भी न , पता नहीं नोमिता को इतने गजेट क्यों दे देता है , किताब जी आराम फ़रमा रहे हैं
नज़र अब भी टीवी पर ही लगी है
ओह ! डोरेमोन के चक्कर में अज्ञेय को तो मैं भूल ही गई , बाप रे कितनी सारी किताबें पढनी हैं ...
हा हा हा हा , लो खतम भी हो गई , देखा किती स्पीड है
badhiyaa haen bitiya rani
जवाब देंहटाएंkitabo ko banaa lo saheli
jeevan mae nahin rahogi akeli
ssneh
rachna
वाह बुलबुल बिटिया ..... खूब पढो , आगे बढ़ो ....
जवाब देंहटाएंनन्हीं आशीर्वाद
जवाब देंहटाएंमेरे को पढ़ना सिखा दो
बचपन में हम भी तो यही करते थे... पापा की किताबें उठा कर उसमें चित्र देखना...अच्छा लगा इस बहाने अपना बचपन याद करना... :))
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