रविवार, 1 सितंबर 2019

आप अपने बच्चों के हीरो हैं


दिन 27 जुलाई 2019
समय प्रातः आठ बजे
स्थान : अर्वाचीन भारती भवन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दिल्ली
अवसर : विद्यालय में अभिभवक शिक्षक विद्यार्थी मिलन





आज का दिन इतना खूबसूरत बनेगा सोचा नहीं था | कल शाम को बच्चों के स्कूल से अध्यापकों का फोन आया कि ,एक नए प्रयोग के रूप में हम कुछ अभिभावकों को कक्षा में बुलाकर बच्चों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए अपने अनुभव साझा करने हेतु आमंत्रित करना चाहते हैं क्या आप समय निकाल सकेंगे | और हाँ इस बाबत हमने बच्चों को नहीं बताया है आप भी न बताएं | हम दोनों ऐसे अकेले अभिभावक थे जिन्हें दोनों को आमंत्रित किया गया |

बच्चों ने न सिर्फ फूल आरती माला से  हमारा स्वागत किया बल्कि तरह तरह की खूबसूरत और प्यारी प्रस्तुतियों से हमारा मन मोह लिया | हर कक्षा में कुछ चुनिंदा अभिभावकों को आमंत्रित किया गया था और ये उन सब बच्चों से छुपा कर रखा गया था इसलिए पहुँचने पर बच्चों के चेहरे पर पहले आई हैरानी और फिर आई मुस्कराहट ने तो जैसे एक खूसबसूरत दिन की शुरुआत कर दी थी और खूबसूरत परम्परा की भी |

पुत्र 11 वीं के छात्र हैं और पुत्री 5 वीं की | आज सुबह हम दोनों को अचानक अपनी कक्षा के बीच में पाकर बच्चों के चेहरे पर पहले अप्रत्याशित आश्चर्य और फिर जो मुस्कराहट उभरी वो दिल में सहजने लायक थी |

फिर दौर शुरू हुआ बच्चों से संवाद और सम्बोधन का | आदतन मैं अपने तमाम अनुभव जब बच्चों से बाँट रहा था मानो ज़िंदगी पूरे फ्लैश बैक में चल रही थी | पहले बिटिया की कक्षा और फिर बेटे लाल की कक्षा में ऐसा समा बंधा कि न हमारा रुकने का मन हो रहा था न ही बच्चों की कौतूहल भारी आँखें ,और मासूम मुस्कान हमें रुकने दे रही थी। .....कब समय बीता पता ही नहीं चला |
पुत्र आयुष की कक्षा में सभी बच्चों के बीच हम भी बच्चे हो जाना चाह रहे थे | श्रीमती जी अपने मधुर आवाज़ से सभी बच्चों का मन मोह लिया और हम तो ठहरे ही पक्के किस्सागो। .....
श्रीमती जी बच्चों के बीच 


शुक्रिया बच्चों ,हमें ये मौक़ा देने के लिए , आभार विद्यालय प्रशासन और शिक्षक शिक्षिकाओं का




पुत्र आयुष की कक्षा की कुछ बेटियां प्रस्तुति देते हुए 







बीच में बिटिया बुलबुल 








जब हमें इस पूरे कार्यक्रम के बारे में लिखने को कहा गया तो हमने यही लिखा कि ऐसे कार्यक्रम निरंतर होने चाहिए क्यूंकि ये न सिर्फ हमें अपने बचपन को दोबारा से जी सकने का अवसर देते हैं बल्कि अपने बच्चों को उनके सहपाठियों को उनके गुरुजनों को और बच्चों शिक्षकों को हमें समझने का खूबसूरत मौक़ा भी प्रदान करते हैं | एक और सबसे अच्छी बात ये रही की बच्चे इस कार्यक्रम के बाद और पहले भी अपने अभिभावकों को अपना रोल मॉडल और आदर्श मानने का फख्र करते हैं | कुल मिलाकर ये जीवन भर में मिलने वाले कुछ अविस्मरणीय पलों दिनों में से एक था 


शनिवार, 1 जुलाई 2017

मिट्टी की गुडिया




ये ब्लॉग कोना , मैंने अपने दोनों बच्चों के बढ़ते सफ़र को उनके चित्रों , तस्वीरों , और शब्दों में सहेजने के लिए बनाया था | कभी कभार खींची उनकी तसवीरें , आप भी देखिये ,आज बुलबुल की शरारतों का एल्बम


अपनी प्लस्टिक की छोटी सी गैया को मिट्टी की रोटियां खिलाती बुलबुल 

शरारत पकडे जाने पर और आवाज़ लगाने पर बुलबुल 

हमारी इश्माईल ,अपने लिए मिट्टी का ईश्माईल बनाते हुए , मिट्टी बहुत पसंद है ,बचपन में काफी पहुंच़ाया अपने पेट में 

सावधान , काम ज़ारी है .




मुस्कुराता इस्शमाईल जी 

रविवार, 4 अक्तूबर 2015

मेरा नन्हा चित्रकार


पुत्र आयुष को अपने शुरूआती  दिनों से ही खाली समय  में अपनी   पेन्सिल  रंग  पेंट आदि से चित्रकारी करने का शौक रहा है और मुझे भी उसे ऐसा  करते हुए देखने में आनंद आता है | मैं भी उसे उसकी इस आदत या शौक को आगे बढाने के लिए उसे तरह तरह के रंग पेंट ब्रश आदि  देता रहता हूँ | आप उसकी कुछ चित्रकारी इन पोस्टों पर देख कर सराह चुके हैं , देखिये इन दिनों उसने क्या क्या  कोशिश की है









मंगलवार, 16 सितंबर 2014

गोलू बुलबुल इन कनक घाटी , जयपुर



अभी कुछ समय पहले ही बुलबुल और गोलू अपने चाचा जी के यहां जयपुर घूमने गए थे ऐसे में कनक घाटी ,जयपुर में पूरा परिवार पिकनिक मनाने , घूमने , झूला झूलने और मस्ती करने न जाए ऐसा कैसे हो सकता है भला , और देखिए क्या क्या मस्ती मची बस्ती में

कनक घाटी का नोटिस बोर्ड


सबसे पहले पेट पूजा की जाए , चाचा चाची के साथ बुलबुल एंड कंपनी

चलो अब जरा पींगे मारी जाएं



ये लो मैं बैठ गई इस तबले वाले झूले पर भी

अरे वाह , ये तो खूब उछलता है

जरा अब इसमें घुस कर देखा जाए ये क्या है

गुगु भईया आपको समझ में आया ये क्या है

रुको मैं स्पीड से इसका एक चक्कर लगाती हूं शायद कुछ पता चले

दफ़ा करो ...इस वाले को ट्राई करके देखते हैं , भईया तो आसन जमा के बैठ गए हैं

मुश्किल वक्त , कमांडो सख्त

कदम कदम बढाए जा

और बढाए जा

गुगु भईया के साथ बुलबुल

और ये रहा ग्रीन कार्पेट
 आखिर की सारी उठापटक , कूदम कूद , पकडम पकडाई इसी ग्रीन कार्पेट पर खेल खेल कर कनक घाटी को सर पर उठा लिया पूरी बच्चों की पूरी फ़ौज ने , तो जब भी जयपुर जाना इस कनक घाटी में जरूर खेलने जाना . ...........प्रॉमिस

शुक्रवार, 27 जून 2014

बुलबुल गोलू in दिल्ली का ZOO


गोलू और बुलबुल के स्कूलों की छुट्टियां हुईं तो बहुत समय से चिडियाघर घूमने जाने का बन रहा कार्यक्रम आखिरकार फ़ायनल हो ही गया । आयुष (गोलू) जी , डिस्कवरी चैनल पे शौक से जानवरों ,पक्षियों पर आधारिक कार्यक्रम देख देख कर एक शिद्दत पाल रहे थे और पूरे उत्साह के साथ तैयार थे चिडियाघर घूमने के लिए  और बुलबुल तो बुलबुल ठहरी , चहकने फ़ुदकने का मौका भला कहां हाथ से जाने दे ...

बुलबुल जी ने चिडियाघर में पहुंचते ही पहले अपनी गड्डी संभाली और फ़िर तैयार हो गई गड्डी फ़ुर्रर्रर्रर्र होने के लिए ,....


बुलबुल जी , चिडियाघर में चलने वाली बैटरी गड्डी की चालक सीट पर 


सवारियां भी बैठ कर घूमने के लिए एकदम तैयार




बडे तोते का  बडा पिंजरा

अहा कितने सुंदर सुंदर हिरण , सफ़ेद भी



सफ़ेद मोर और रंग बिरंगा मोर भी




पानी में गोते लगाता हिप्पो बोले तो दरियाई घोडा

अपने बाडे में चक्कर लगाता जैगुआर

आराम फ़रमाता नन्हा चीता

बिल्कुल पास आया जैगुआर



ईमू जी सपरिवार


चिडियाघर में बना सुंदर बाग

मनमोहक मनोरम बाग


गोलू जी ,पापा के साथ

बुलबुल जी पापा के साथ


बुलबुल जी मम्मा के साथ
और सैर हो गई पूरी ..................टाटा जी बाय बाय , फ़िर मिलेंगे ।