गोलू और बुलबुल के स्कूलों की छुट्टियां हुईं तो बहुत समय से चिडियाघर घूमने जाने का बन रहा कार्यक्रम आखिरकार फ़ायनल हो ही गया । आयुष (गोलू) जी , डिस्कवरी चैनल पे शौक से जानवरों ,पक्षियों पर आधारिक कार्यक्रम देख देख कर एक शिद्दत पाल रहे थे और पूरे उत्साह के साथ तैयार थे चिडियाघर घूमने के लिए और बुलबुल तो बुलबुल ठहरी , चहकने फ़ुदकने का मौका भला कहां हाथ से जाने दे ...
बुलबुल जी ने चिडियाघर में पहुंचते ही पहले अपनी गड्डी संभाली और फ़िर तैयार हो गई गड्डी फ़ुर्रर्रर्रर्र होने के लिए ,....
बुलबुल जी , चिडियाघर में चलने वाली बैटरी गड्डी की चालक सीट पर |
सवारियां भी बैठ कर घूमने के लिए एकदम तैयार |
बडे तोते का बडा पिंजरा |
अहा कितने सुंदर सुंदर हिरण , सफ़ेद भी |
सफ़ेद मोर और रंग बिरंगा मोर भी |
पानी में गोते लगाता हिप्पो बोले तो दरियाई घोडा |
अपने बाडे में चक्कर लगाता जैगुआर |
आराम फ़रमाता नन्हा चीता |
बिल्कुल पास आया जैगुआर |
ईमू जी सपरिवार |
चिडियाघर में बना सुंदर बाग |
मनमोहक मनोरम बाग |
गोलू जी ,पापा के साथ |
बुलबुल जी पापा के साथ |
बुलबुल जी मम्मा के साथ |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-06-2014) को "ये कौन बोल रहा है ख़ुदा के लहजे में... " (चर्चा मंच 1658) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
शुक्रिया और आभार आपका
हटाएंबहुत सुन्दर चित्र हैं..... बच्चों को ज़ू जाकर सच में बड़ा अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी ..हां बच्चों का आनंद तो दुगना हो जाता है
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन हुनर की कीमत - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबुलेटिन टीम का शुक्रिया और आभार
हटाएंब्लॉग बुलेटिन का आभार जिस कारण यहाँ आकर आपको सपरिवार देखने का मौका मिला.. परिवार सहित आपको हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंलव यू दीदी :)
हटाएंशुक्रिया
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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