देखूं तो सही कि आखिर इस बंदूक से ,.....जिससे सब इतना डरते हैं .......आखिर उसका स्वाद कैसा है .....आज तो इस रिवाल्वर को ही चबा कर देखती हूं................
और ये रहा इस don का भाई .........भाई बोले तो गोलू जी ......सांभा की तरह टीले के ऊपर बैठा हुआ ...............
कितने आदमी थे ??
जवाब देंहटाएंबच्चों को आशीष
जवाब देंहटाएंआयुष और अदिति को आशीष -
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
वाह ! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
हम तो डर गये जी....
जवाब देंहटाएंये छोटे सांभा जी ने ही सीखाया होगा---चखकर देखना...
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