शनिवार, 14 जनवरी 2012

चश्मेबद्दूर ...यानि चश्मा नहीं बहुत दूर



बुलबुल , शरारत के मामले में ,गोलू भैया से आगे है । पूरे दिन घर में फ़ुदकती है । और अगर वो जगी हुई है तो यकीनन ही किसी उद्दम में व्यस्त मिलेगी । फ़िर चाहे  मम्मी का पर्स मिले , या पापा का चश्मा , या फ़िर भईया का पेंसिल बॉक्स ...कोई वांदा नईं ..अप्पन तो बिजि पांडे हैं



ओ पुर्रर्रर्रर्रर्र..पापा का चश्मा

हुप्प्प्प्प

हे हे हे हे जे तो मेरी मुंडी से भी ज्यादा बला है

आंखें बंद करके ध्यान लगा के देखती हूं ,शायद कुछ नई खुराफ़ात ...

धत निकालो इसे कान दुखा दिए

यह लो अपनी चसमिसिया ,बहुतही कान दुखायो ,
ओ पापा मेरे ,मैं नहीं चशमा लगायो

अच्छा चलो इसे टांड पे टिका के देखती हूं

हुंह्ह ......एक पोज गुगल बनके (यहां बता दूं कि बुलबुल जब गुड गर्ल बनके दिखाती है तो कहती है , पापा मैं गुगल बन गई )

गोलू भईया का लगा के देखती हूं ...डॉन थ्री ..टैणेण टैण ..टैण टैणेन 




6 टिप्‍पणियां:

  1. अरिस्स्स जबरदस्त फॉर्म में है दुन्नु बच्चा आजकल...अच्छा है..:P :P

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  2. अरे बुल बुल बिटिया तो मास्टरानी दिखती हे चश्मा लगा के., बहुत बहुत प्यारी , ओर गोलू तो सीधा साधा शेतान लगता हे ...:)

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  3. फोटू खींच-खींच कर सब दिखाते हैं और बताते हैं कि मैं पापा का चम्मा पहनती हूँ..! भैया का चम्मा पहनती हूँ..! मेरे लिए आप चम्मा कों नहीं ला देते..? पहनुंगी और..पहनुंगी।

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  4. हा हा हा नहीं देवेंद्र भाई बुलबुल का चसना तो है ही लेकिन खुराफ़ात तो बांकी चीज़ों पर होती है । और हां ये सच है कि मोबाइल तैयार रहता है हमेशा ही इसकी खुराफ़ातों को कैद करने का । स्नेह बनाए रखिएगा

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  5. आने वाले समय में यह तस्वीरे बहुत साथ देंगी अजय भाई ... बिटिया को हमारा बहुत बहुत स्नेहाशीष !

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  6. मजेदार ...सारे फोटो खूब खूब अच्छे लगे .....

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